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इन लहरों के उद्वेलन को
साँसों की इस धड़कन को
माना नहीं सुन सके हो तुम
अहसासों की सरगम को
जेठ बैसाख बहुत झुलसे हैं
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इन लहरों के उद्वेलन को
साँसों की इस धड़कन को
माना नहीं सुन सके हो तुम
अहसासों की सरगम को
जेठ बैसाख बहुत झुलसे हैं
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