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मन निडर फौलादी जिगर
मुस्तैद नज़र किरदार बनाना पड़ता है
जीवन में ग़र आगे बढ़ना हो
बदलाव तो लाना पड़ता है
हो संघर्षरत कैसी भी डगर
टूटे हौसलों को धार दिलाना पड़ता है
ग़र ऊँची परवाज़ भरनी हो तो
पंखों को खोलना पड़ता है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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