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बारिश के पानी में
कागज की कश्तियाँ
उछल कूद छेड़ छाड़
मासूम मस्तियाँ
बारिश में नहाना
माँ का डपटना
आँधी में उड़े कागजों सा
अनसुना करना
क्या तुम्हें यादहै
बागों के झूले
बाबा के कंधे बैठ
घूमे जो मेले
प्यार भरे मस्ती भरे
बचपन के दिन
कौन भूल सका
माँ की गोद वाले दिन।
मं शर्मा (रज़ा)
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