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धरती आकाश
पर्वत पहाड़
नदी और नाले
उस अदृश्य
अलौकिक शक्ति ने
अपनी अव्यक्त
भावना से रच डाले।
मं शर्मा( रज़ा)
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धरती आकाश
पर्वत पहाड़
नदी और नाले
उस अदृश्य
अलौकिक शक्ति ने
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भावना से रच डाले।
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