
Share0 Bookmarks 13 Reads0 Likes
सुख दुख की परवाह न कर
ये तो आने जाने हैं
इन पलों का हिसाब रखले
ये लौट के फिर न आने हैं
समय की कुछ मधुर स्मृतियां
अविस्मरणीय हो जानी हैं
इन अप्रतिम क्षणों को जी ले
मौत तो निश्चित आनी है ।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments