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देह का आवरण ओढ़े फिरा
आत्मा को मार के जीता रहा
जीवन जीते जीते एक दिन
जीने का मकसद मिल गया
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देह का आवरण ओढ़े फिरा
आत्मा को मार के जीता रहा
जीवन जीते जीते एक दिन
जीने का मकसद मिल गया
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