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बादल सी आवारगी तेरी
पवन सी शीतलता
भंवरे सी चंचल हो तुम
कलियों सी सुंदरता
दिल को चीर जाती हैं
ये दो आँखें हैं जो तेरी
मुझको मेरी सुध रहे ना
अब क्या बात करूँ मैं तेरी।
मं शर्मा (रज़ा)
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