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नीयत थी भरी हुई
सुकून का साथ था
महलों में गर्व पर
झोंपड़ों में पर्व था
दौलत को थी बेकली
अभाव निश्चिंत था
मैं अपने संस्कारों से
बेहद आश्वस्त था ।
मं शर्मा (रज़ा)
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नीयत थी भरी हुई
सुकून का साथ था
महलों में गर्व पर
झोंपड़ों में पर्व था
दौलत को थी बेकली
अभाव निश्चिंत था
मैं अपने संस्कारों से
बेहद आश्वस्त था ।
मं शर्मा (रज़ा)
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