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कसक रह जाती है
लाख कोशिशों के बाद
चाह कर भी किसी को भुलाना
आसान नहीं होता
यूँ तो संभल संभल कर
चलता है हर कोई
ठोकरों से बच निकलना
आसान नहीं होता
बहती धारा संग बह जाना
कोई बड़ी बात नहीं
चढ़ते तूफानों में राह बनाना
आसान नहीं होता।
मं शर्मा (रज़ा)
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