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मैंने तुम में वो ढूँढा
जो तुम थे नहीं
तुम मुझमें वो ढूँढते रहे
जो मैं रहा नहीं
शायद हम अब भी
नहीं समझे
खाली हाथ रह गए
निराश हताश अर्थहीन ।
मं शर्मा (रज़ा)
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मैंने तुम में वो ढूँढा
जो तुम थे नहीं
तुम मुझमें वो ढूँढते रहे
जो मैं रहा नहीं
शायद हम अब भी
नहीं समझे
खाली हाथ रह गए
निराश हताश अर्थहीन ।
मं शर्मा (रज़ा)
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