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मन की पीड़ा न छिपा
संवेदनाओं से न डर
आर्तनाद करते दिल की
भावनाओं को समझा कर
मत भूल संस्कृति की
अनुपम धरोहर है तू
संस्कारों के कफन में
खुद को दफन न किया कर।
मं शर्मा( रज़ा)
#स्वरचित
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