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तुझे दिखता है
तू ही देता है
माँग कर क्यों
अनूठी पहल करूँ
मन में जोश है
होंठ खामोश हैं
अभाव कई हैं
पर माँगता नहीं हूँ।
मं शर्मा (रज़ा)
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तुझे दिखता है
तू ही देता है
माँग कर क्यों
अनूठी पहल करूँ
मन में जोश है
होंठ खामोश हैं
अभाव कई हैं
पर माँगता नहीं हूँ।
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