
Share0 Bookmarks 23 Reads0 Likes
अधिकारों के मोह में
कर्त्तव्यों से विमुख हुआ
मोह मुझसे मैं मोह से
अति अनुरक्त हुआ
मोह भंग होने पे जाना
कितना बड़ा प्रपंच हुआ
मोह केवल भ्रम ही था
मैं व्यर्थ भ्रमित हुआ ।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments