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भिगो गया धरती का अंतस
बारिश की इन बूँदों का स्पर्श
जगा गया है सोया विश्वास
देकर नवचेतना का अहसास
फिर जीवन में जागेगी प्यास
खुद को पुनः पाने की आस।
मं शर्मा (रज़ा)
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भिगो गया धरती का अंतस
बारिश की इन बूँदों का स्पर्श
जगा गया है सोया विश्वास
देकर नवचेतना का अहसास
फिर जीवन में जागेगी प्यास
खुद को पुनः पाने की आस।
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