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समय की माला से टूटकर
चंद लम्हे कहीं छिटक गए
बड़े अनमोल पल थे सभी
बिन जीए ही रह गए
इन जाते हुए लम्हों की
चलो आज कसम खा लें
नववर्ष की नई उमंगों में
नई सुबह की झोली भर लें।
मं शर्मा (रज़ा)
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