
Share0 Bookmarks 14 Reads0 Likes
समय के प्रहार से
जिह्वा की कटार से
आँसुओं की धार से
उफनते मंझधार से
बच सका है भला कौन
अनकहे संवाद को
अनसुनी फरियाद को
अनसुलझे विवाद को
अनबूझे सवाल को
समझ सका है भला कौन।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments