Share0 Bookmarks 44664 Reads0 Likes
समय के प्रहार से
जिह्वा की कटार से
आँसुओं की धार से
उफनते मंझधार से
बच सका है भला कौन
अनकहे संवाद को
<No posts
No posts
No posts
No posts
समय के प्रहार से
जिह्वा की कटार से
आँसुओं की धार से
उफनते मंझधार से
बच सका है भला कौन
अनकहे संवाद को
<No posts
No posts
No posts
No posts
Comments