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जो अनकही है
बिन कहे ही रहने दे
एक दिन रूह को
रूह की राह होगी
लफ्ज़ों की भी
ना दरकार होगी
बात बन जाएगी
बिन कहे बिन सुने।
मं शर्मा (रज़ा)
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जो अनकही है
बिन कहे ही रहने दे
एक दिन रूह को
रूह की राह होगी
लफ्ज़ों की भी
ना दरकार होगी
बात बन जाएगी
बिन कहे बिन सुने।
मं शर्मा (रज़ा)
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