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चेहरा मोहरा काम न आया
दाम और काम धरा रहा
आचरण से जो उत्तम था
जुबाँ पे उसका नाम रहा
सच के साथ समय खड़ा था
गलत अनदेखा रह गया।
मं शर्मा (रज़ा)
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चेहरा मोहरा काम न आया
दाम और काम धरा रहा
आचरण से जो उत्तम था
जुबाँ पे उसका नाम रहा
सच के साथ समय खड़ा था
गलत अनदेखा रह गया।
मं शर्मा (रज़ा)
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