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आँखों की गहरी झील
कभी सूखी न थी
दर्द ने डुबकी लगाना
छोड़ दिया था
नमी थी पलकों पर
आँसुओं की लेकिन
वजह बेवजह छलकाना
छोड़ दिया था ।
मं शर्मा (रज़ा)
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आँखों की गहरी झील
कभी सूखी न थी
दर्द ने डुबकी लगाना
छोड़ दिया था
नमी थी पलकों पर
आँसुओं की लेकिन
वजह बेवजह छलकाना
छोड़ दिया था ।
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