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पर्णविहीन वॄक्षों की शाखाएँ
मानो मानव कंकाल श्रंखलाएँ
खड़ी नतमस्तक मीचें अँखियां
लज्जित सी निर्वस्त्र आकृतियाँ।
मं शर्मा (रज़ा)
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पर्णविहीन वॄक्षों की शाखाएँ
मानो मानव कंकाल श्रंखलाएँ
खड़ी नतमस्तक मीचें अँखियां
लज्जित सी निर्वस्त्र आकृतियाँ।
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