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कल्पना से परे
सुंदरता से अधिक
खूबसूरत सी एक
अजंता की मूरत हो तुम
सूरज भी मुझक
क्या जीवन देगा
मेरे जीने की
मोहलत हो तुम
कुछ उलझी सी
कुछ सुलझी सी
कल्पनाओं में रची बसी
एक अनबूझ पहेली हो तुम।
मं शर्मा( रज़ा
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