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चेहरों पर नित नए चेहरे देखता हूँ
इस दिल पर बोझ लिए जीता हूँ
आईना दिखाना काम है मेरा
सच कैसे बताऊँ यही सोचता हूँ ।
मं शर्मा (रज़ा)
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चेहरों पर नित नए चेहरे देखता हूँ
इस दिल पर बोझ लिए जीता हूँ
आईना दिखाना काम है मेरा
सच कैसे बताऊँ यही सोचता हूँ ।
मं शर्मा (रज़ा)
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