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खामोश रह गई चुप्पी
लफ्ज़ दम तोड़ते रहे
चीत्कार करते अहसास
अनसुने ही रह गए
जुबां कुछ कह न सकी
अहसास शब्द खोजते रहे।
मं शर्मा( रज़ा)
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खामोश रह गई चुप्पी
लफ्ज़ दम तोड़ते रहे
चीत्कार करते अहसास
अनसुने ही रह गए
जुबां कुछ कह न सकी
अहसास शब्द खोजते रहे।
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