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मेंहदी की रंगत
पायल की संगत
नदी का किनारा
साथ तुम्हारा
नयनों में भर लूँ
अद्भुत नज़ारा
उलझी अलकें
उनींदी पलकें
अनकही बातें
अधूरी मुलाकातें
खत्म हो न कभी
खुशियों की बारातें।
मं शर्मा (रज़ा)
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