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जाने कहाँ से लाती है इतने
नित नया सवाल पूछती है
मैं इतना सब्र लाऊँ कहाँ से
जिंदगी बहुत सवाल पूछती है
अपनी कमियाँ देखती नहीं
मेरी कमियों पे सवाल करती है
आधे अधूरे से सवालों का
मुकम्मल सा जवाब चाहती है।
मं शर्मा (रज़ा)
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