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तू ही लिखता है
तकदीरें सबकी
तू ही सबका
इंसाफ करे
किसी की आधी
किसी की पूरी
झोलियाँ तू ही
भरता फिरे
मेरी किस्मत को
अधूरा छोड़ा ऐसे
जैसे बेमन से कोई
अधूरा खत लिख छोड़े
मं शर्मा( रज़ा)
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