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भूल कर दुख सभी
मिल मुझसे कभी
ढूँढ कर एक-दूजे को
आ खो जाएं कहीं
इस ज़मीन उस आसमाँ से
दूर बहुत दूर कहीं ।
मं शर्मा( रज़ा)
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भूल कर दुख सभी
मिल मुझसे कभी
ढूँढ कर एक-दूजे को
आ खो जाएं कहीं
इस ज़मीन उस आसमाँ से
दूर बहुत दूर कहीं ।
मं शर्मा( रज़ा)
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