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ठेले पे वो फिर बेचने निकला आज ,
पर भीड़ ना दिखी कुछ खरीदने के लिए ,
अपने ही रिक्सा में बैठे वो राह तकता रहा ,
कोई दिखा नही दूर तलक चढ़ने के लिए ,
कच्चे घरों में लोग भूखे सो रहे ,
अमीर परेसान है अपने कारोबार के लिए ,
अजीब सा सन्नाटा पसरा है चारो ओर ,
जैसे धरती ने ली हो छुट्टी एक लंबे अरसे के लिए |
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