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हमको मुहब्बतो का ये तोहफा नहीं मिला
सब को मिला हमें तो ये धोखा नहीं मिला

जब वो नहीं मिलीं हमें तो यूँ लगा, कि ये
बचपन के दिन थे और खिलौना नहीं मिला

आदत नहीं है एसे जताने की हालतें
वर्ना यूँ जिंदगी से हमें क्या नहीं मिला

है अब ये शौक अपने अँधेरों में रहते हैं
वो इसलिए कि तुझमें उजाला नहीं मिला

कल उसकों देखा बाद में तस्वीर देखीं थी
है सच उसी से उसका भी चहरा नहीं मिला

कुछ झूठ कह रहा हूँ ग़ज़ल पूरी करनी है
वो रोज़ मिलता है जो दुबारा नहीं मिला

इक रोज़ एक शेर में इक ग़म बिछड़ गया
"मौनू" को ग़म मिला वो भी लम्बा नहीं मिला

मनीष सेवक 'मेवाड़ी'

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