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एक आँसु पलकों में कहीं ठहरा रहता था,
गुमसूम सा...
अपनी एकाकी को सम्भाले।
दर्द भरी रूह से बिछड़ना नहीं चाहता था...
साथ देना चाहता था
अपनी छोटी सी हस्ती को
क़ायम रखना चाहता था
आँखों की आँच से छुपा अपने आपको
बस दिल की झुलस को सुकून देना चाहता था
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