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चाहे कितनी भी दूरी तय की होगी,
हमने, तुमने।
ज़िंदगी की राह में..
चढ़ते..उतरते।
होगा एक दिन लौटना,
घर को..
सब को।
चलना ज़रूर, मगर
गुज़रे रास्तों को ना भूलना
जड़ों को मत भूलना
अपने घरों को मत भूलना
होगा एक दिन लौटना,
घर को,
सब को।
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