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कामका आदमी

ManipratapManipratap January 10, 2023
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एक बार जी सकूं

इसलिए हजार बार मरता रहा

अरे सुनकर आप नाराज हो गए क्या?

नहीं-नहीं इल्जाम आप पर नहीं।

ये तो मेरा काम था,

सो तमाम उम्र करता रहा।

मुझे बचपन में खेलना पसंद था

कभी दौड़ना तो कभी बस गेंद फेंकना पसंद था

उम्र दराज नहीं हम उम्र ही सही

सराहते न सब थे मगर कुछ ही सही

मैं भी खुश था अपनी खुशी से

ना फिकर थी कल की

बस आज पर यकीन था

फिर किसी ने कहा कि

कल के लिए पढ़ना ही बेहतर है

सो छोड़ दिया खेलना

लगा मरना ही बेहतर है

उम्र गुजरी पड़ाओ बदले

जिंदगी अपनी थी मगर सवाल बदले

विकल्प तो दिए गए मुझे

मगर कल की चांदनी चुनने पर जो़र था

मेरे भीतर जो बचपन बच गया था

उसको मारने पर जो़र था

मैंने भी चुन लिया जिससे मेरा कल सुरक्षित रहे

पढ़नी थी कला मगर वक्त कलाकार निकला

मैंने कलाबाजी से अपनी कला को मार दिया

अब कमाने लगा हूं अपने और अपनों के वास्ते

बचपन को भी सुला दिया सपनों के रास्ते

अब कल के डर से भर गया हूं

जो घटा नहीं है उन चिंताओं से घिर गया हूं

जैसे मैं जीवित नहीं बस मर गया हूं

लेकिन वक्त ने फिर करवट ली

चुनने के नए रास्ते दिए

इस बार मुझे चुनना था प्रेम और शादी में से एक

किसी ने कहा कि

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