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काल के कपाल पर
वक़्त के क्रूर भाल पर
छाप अमिट छोड़ गया
जग से मुँह मोड़ गया।
मौत तो भ्रान्ति है
जीवनोपरांत विश्रांति है
शरीर सिर्फ नश्वर है
किन्तु आत्मा अजर अमर।
नाम था उनका अटल
बिहारी सा आत्मबल
मुश्किलों में रह सदा प्रबल
संभावनाएं नित नवीन तलाशता
वर्जनाएँ तोड़ बनाता अपना रास्ता
दोस्तों की क्या कहें,
दुश्मनों को भी
देता दोस्ती का वास्ता
देश हित के लिए करें
देश हित में मरें
इसी अन्तर्भावना से
निज कार्यों को तराशता
सीमाओं से परे चाहे
अटल अनंत है
गाथाओं का उनके
नहीं आज कोई अंत है
माँ भारती का यह लाल
एक सच्चा भारत रत्न है
संग साथ चलकर
अब बिछुड़ने की रुत आई है
अश्रुपूरित नयनों से
आस सहित देते हम विदाई हैं
रूपांतरित हो अब शायद
पुनर्मिलन की वेला आई है।
© - मणि
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