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ज़िंदगी ने दिखाए कई रंग,
कुछ रंग अभी बाक़ी है।
पूरी हो कि न हो, मालूम नहीं
पर आस अभी बाक़ी है,
साथ तेरा न मिला तो क्या,
हर कदम एहसास अभी बाक़ी है।
गोया मोजिज़ा हो जाये एक दिन
मैं ज़ानिब-ए-मंजिल चलूँ
और तुम बनो हम-परवाज़,
क्यूँकि साँस अभी बाकी है।
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