
Share0 Bookmarks 862 Reads0 Likes
सबके सामने नंगा होने का डर इतना बड़ा है
कि मैं घर हो गया हूँ—
दो खिड़की और एक छोटे-से दरवाज़े वाला
जहाँ से मुझे भी घिसट कर निकलना पड़ता है।
किसी के आने की गुंजाइश उतनी ही है
जितनी मेरे किसी के पास जाने की।
सबके अपने-अपने घर हैं
अपने-अपने डर हैं
इसलिए अपने-अपने दरवाज़े हैं।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments