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एक तितली जो रुक रुक के चली
आ गयी आँगन में रंगीली
ख़ुशी से खिल उठा मेरा मन
यह है प्रकृति का दर्पण
सूरज की किरणे बिखर रही है
खेलती पत्तों से आँख मिचौली
कह रही है तुम भी सुन
चिड़ियों की मीठी धुन
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