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रहती हूं दूर शहर में
अपने घोंसले में अकेले
हर दिन में है कुछ खास
पराए अपने होने का एहसास
सुबह उठने पर आते हैं
रोशनी के अंगिननाथ मेहमान
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रहती हूं दूर शहर में
अपने घोंसले में अकेले
हर दिन में है कुछ खास
पराए अपने होने का एहसास
सुबह उठने पर आते हैं
रोशनी के अंगिननाथ मेहमान
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