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#न जाने तुम किस सोच मे हो
मै तो अपनी ही सोच मे रहा।।
#सुन के भी अनसुनी की गईं
कहा तो बस कहता ही रहा।।
#बस इक जवाब के वास्ते
न यहाँ का रहा न वहाँ का रहा।।
#मुबारक़ मिली मंजिल जिसे
मै कारवां था कारवां ही रहा।।
#महफ़िल तेरी फिर भी बेदख़ल
कोने मे खड़ा बस खड़ा ही रहा।।
#थे हम भी खिलाड़ियों मे शामिल
रिक्त था पर अतिरिक्त ही रहा।।
#कहानी तेरी कौन सुने सुनाए
लिखना शुरू की लिखता ही रहा।।
#बीमारी का अंजाम मौत है शायद
मै शेरों मे था शेरों मे ही रहा।।
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