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#चुप हूँ इक अरसे से।
आज क़लम तोड़ दूँ क्या।।
#पास की नज़र तो ठीक है।
दूर का चश्मा तोड़ दूँ क्या।।
#बहुत हुआ इंतज़ार अब नहीं।
तेरा प्याला तोड़ दूँ क्या।।
#रह कर भी रहा अकेला।
रिश्तों की गुल्लक तोड़ दूँ क्या।।
#ख़्वाबों मे कट र
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