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#बाज़ी सारी हार चुके हैं।
अब हमें आजमाएं कौन।
#अंधेरों से अब ख़ासी यारी हैं।
जलाकर चिराग़ उसे दुश्मन बनाय कौन।
#किस्मत भी साथ नहीं है।
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#बाज़ी सारी हार चुके हैं।
अब हमें आजमाएं कौन।
#अंधेरों से अब ख़ासी यारी हैं।
जलाकर चिराग़ उसे दुश्मन बनाय कौन।
#किस्मत भी साथ नहीं है।
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