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उस महल से
रोने की आवाज आती है
मेरी झोपड़ी सदा
मुस्कुराती है।
मखमली बिस्तर होंगे तेरे
मुझे नींद बहुत आती है
मेवे और पकवान
होंगे तेरे आलीशान
मुझे चटनी और
बासी रोटी भी भाती है।
बर्गर पिज्जा और
चाउमीन
फ्रिज है तेरा भरा हुआ
मुझे अमरूद पसन्द है
माँ के हाथ का कटा हुआ।
तेरे घर सोफा
मेरे घर खाट है।
इन्वर्टर है तेरे घर
मुझे तारों की रात है।
-शैलेन्द्र के तेवर
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