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दुनिया का ज्यादातर साहित्य कलम को स्याही की बजाए आंसुओं में डुबोकर लिखा गया है।कविता तो बगैर आंसू के बिना सॉफ्टवेयर के कंप्यूटर के समान है।दर्द ग़ज़ल के लिए निहायत जरूरी है।कामुकता और फूहड़पन ऐशो आराम वाली जिंदगी से निकल स्याही में डुबो दिया जाता है।
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