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क्या उपहार दें?
"आज"
आज............ ,और आगे भी आज,
कुछ तो है आया, जो हम में समाया
समझने पर पाया, आपका जन्मदिन है आया|
मां के नाथ, हमारे तात,
एक ही प्रश्न अब सामने आया,
कि आपको क्या उपहार दें?
बहुत सोचा, दिमाग लगाया, और पाया,
जिनने हम पर संसार लुटाया,
उन्हें क्या खिलौना दें?
पर......फिर सोचा- खोजा और पाया,
इनकी उन्हें जरूरत नहीं,
वास्तविकता है और,
और इशारा है कहीं और!
तन मन जीवन किया समर्पित,
हमको यही सिखलाने को,
सोच बनाओ ऐसी,
कदमों में मंजिल झुकाने को|
बस देना उनको इतना है,
कि देख हमें कोई पूछ उठे,
कि कौन हैं इनके मात- पिता,
और नाम हमारा आगे हो||
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