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माँ कभी कह नहीं पायीं
मुझसे कितना प्यार करती हैं
पता नहीं क्यों…
घर में सबका ख़्याल रखती
साफ़ सफ़ाई नाश्ता खाना
किसने खाया किसने नहीं
सब पता होता उनको
बस मेरे मन की बात नहीं सुन पायीं
शायद इसलिए पापा के क़रीब ज़्यादा
हो गई मैं …
पर कुछ बातें तो सिर्फ़ माँ समझ पाती
भाई सारे माँ के आस पास मँडराते रहते
और मैं पापा के इर्द-गिर्द घूमती रहती
दोनों ने बाँट रखे थे अपनी अपनी पसंद के बच्चे
मुझे दूसरे घर जाना है ये बात
वो हमेशा मुझे बताया करती
कम उम्र में ही उन्होंने मेरा सारा काम
करना सिखा दिया था मुझे
विदाई में मेरी पापा से ज़्यादा वो रोई
पर फिर भी
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