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हमेशा तो नहीं होगा हमारा तेरे साथ रहना,
तू आदत डाल लें हमारे बग़ैर जीने की।
हमेशा ही तो नहीं मिलेगी मिठास जीवन में,
तू आदत डाल लें रोज थोड़ा ज़हर पीने की।
फिर कौन किसका यहाँ इस झूठ के बवंडर में,
तू आदत डाल लें मेरी जान यहाँ अकेले जीने की।
©®सुधा जोशी"रजनी"
रानीखेत(उत्तराखण्ड)
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