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वो आंखें मेरी दीद को तरसती हैं क्या
वो उन गलियों अब भी दिखती हैं क्या
तुम हमेशा चुप चुप क्यों रहते हो
कोई बात दिल को चुभी हैं क्या
तुम्हें तो सारे राज़ मालूम हैं हमारे
कोई बात भला तुमसे छुपी हैं क्या
देखा हैं उम्र भर जिसकी राह हमने
उन को भी मेरी इंतज़ारी हैं क्या
वो आंखें हमारी राह भला क्यों देखेगी
उनको चाहने वालों की कमी हैं क्या
हम क़ैस को मत सिखाओ ऐ दुनिया
ग़म क्या चीज़ हैं और खुशी हैं क्या
सोने जा रहे इतनी जल्दी ‘अंकित’
ख़्वाबों में मिलने की तैयारी हैं क्या
• अंकित राज ( #Ankswrites)
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