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इतनी सादगी से जो तकता रहता हैं मुझको
किसी दिन ले डूबेगा ये तेरा तकना मुझको..
हम लोगों से नज़र बचा कर देखते हैं उसको
और वो हैं कि सरेआम देखता रहता हैं मुझको..
उसे खौफ़ नहीं हैं जमाने कि लोग क्या कहेंगे
बस एक चाहत हैं उसकी तकते रहना मुझको..
जब कभी भी वो दिखी हैं मेरे ज़हीरों को
उनका नाम लेकर चिढ़ाता रहता हैं मुझको..
एक तेरे ख़ातिर ज़माने का दुश्मन बना हुआ हूं मैं
और तू हैं कि कभी याद भी नहीं करता हैं मुझको..
मैं उसकी दीवानी हूं और वो मेरा दीवाना हैं
अज़ब लड़की हैं सब को अपना बताती हैं मुझको..
वो तेरी शरीक ए हयात नहीं हो सकती हैं ' अंकित '
यहीं एक बात हमेशा सताता रहता हैं मुझको..
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