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उसका एक ही सवाल था कि
क्या तुमको मेरी कभी याद भी आती हैं?
मेरा जवाब था कि -
तुझ से फुरसत मिले तो बताऊं..
• Ankswrites
दो गुजरती ट्रेन की खिड़की के पास बैठी हुई
उस शख़्स की तरह हो तुम,
जो गुजरता तो बहुत क़रीब से ही मगर
सूरत धुंधला दिखाई पड़ता हैं..
• Ankswrites
ये बातें अधूरी रहीं, ये मुलाकातें अधूरी रहीं
एक शख़्स के साथ सफ़र में कारवां चला
मैं मंज़िल पर पहुंच कर भी अधूरी रहीं
• Ankswrites
मैं उस सुनसान सी
राह का राह गीर हूं
जिस में मैं अपनी ख़ुद की आवाज़
सुन कर ही चौंक पड़ता हूं
• Ankswrites
अब मैं नहीं मेरे
अंदर कोई और रहता हैं
जो बच्चों सी ज़िद्द
करता हैं
सिर्फ़ तुम्हें पाने के
लिए
• Ankswrites
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