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किसने कहा कि खुश हैं मिल के तुमसे हम
होते अगर तो रो न पड़ते मिल के तुमसे हम
हैं अज़ीब ये कुर्बतों कि दूरी हमारे दरमियाँ जानाॅं
सच में होते करीब तो लिपट न पड़ते तुमसे हम
हम को गै़रों की मोहब्बत पर होने लगा हैं यकीं
जो कभी वफादार
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