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जैसा मैंने सोचा वैसा उस शख़्स में था कुछ भी नहीं
मेरे लिए वो सब कुछ था उसके लिए मैं कुछ भी नहीं
मेरे अंदर की ख़ामोशी ही किसी दिन मार डालेगी मुझे
हंसते हुए देख सबको लगता है कि हुआ कुछ भी नहीं
ख़ामोशी ही ख़ामोशी फैल जाती हैं रातों को कमरे में
वैसे ग़ौर से देखने पर नज़र आता हैं यहां कुछ भी नहीं
मेरे इंतज़ार की घड़ियां अब बस खत्म ही होने वाली हैं
मरने के ब
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